नदी की आत्मकथा पर आसान भाषा में निबंध। Nadi Ki Atmakatha in Hindi

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Nadi Ki Atmakatha in Hindi : मैं नदी बोल रही हूं जी हाँ आपने सही सुना मैं नदी हूं जिसे आप कई अलग-अलग प्रकार के नाम से भी जानते हैं जैसे कि सरिता, नहर, कटनी, प्रबहिनी इत्यादि।

Nadi Ki Atmakatha : मैं नदी हूं और मेरा जन्म हिमालय की कोख से हुआ है जब छोटी-छोटी बुँदे एक साथ आपस में मिलकर एक बड़ा आकार लेती है तब जाकर मैं पैदा होती हूं। बचपन से ही मैं काफी ज्यादा चांगचल रही हूं इसीलिए मेरे ठहरने का कोई ठिकाना ही नहीं है। मैं कभी यहाँ कभी वहां चलती रहती हूं। मेरी गति कभी कम कभी तेज रहती है लेकिन ज्यादा देर के लिए इसमें ठहराव नहीं रहता।

मेरा रास्ता कोई सरल रास्ता नहीं होता बल्कि काफी सारे मुश्किलों से मुझे गुजरना पड़ता है लेकिन फिर भी मझे कोई फर्क नहीं पढता। जब मैं हिमालय से निकलती हूं तो झरने की तरह बहकर कहीं ऊंचाइयों से नीचे गिरती हूँ, लेकिन मैं रुकती नहीं हूँ। काफी चट्टाने, पत्थर, पहाड़ मेरी रुकावट बनते हैं लेकिन उन सब से टकराकर मेरी कटी में कमी नहीं आती है लेकिन फिर भी मैं ठहरती नहीं हूँ, बल्कि आगे बहती रहती हूँ।

मेरा काम लोगों को जीवन देने का होता है मैं मनुष्य के साथ पशु-पक्षियों की भी मदद करती हूँ यहां तक जिस जमीन से मैं गुर्जर के जाती हूँ वहां के इलाके को हरा भरा कर देती हूँ। मेरा महत्व इस संसार में काफी ज्यादा है इसीलिए मेरा बहना बहुत जरूरी है। मनुष्य के जीवन में मेरे नीर का उपयोग काफी ज्यादा महत्व देता है।

नदी का जीवनकाल – Nadi Ki Atmakatha in Hindi

मैं इस जीवन काल में हजारों लाखों सालों से हूँ इसलिए मैंने यहां वह सब देखा है जो किसी और का देखना संभव नहीं है। मैं संसार में काफी चीजों को बनते हुए बिगड़ते हुए और तबाह होते हुए अपने सामने देखा है।

Nadi Ki Atmakatha in Hindi

काफी युद्ध मेरे सामने ही हुए हैं, काफी ऋषिमुनि ने मेरे ही किनारे तप किया है। काफी पशु-पक्षी जो अब संसार में नहीं है उन्होंने प्यास बुझाने के लिए मेरा ही सेवन किया है। मेरा जीवनकाल इतना पुराना है कि मैं सब स्थितियों से गुजर चुकी हूँ।

नदी का मनुष्य जाती पर प्रभाव

मेरा उपयोग खेतों में किया जाता है जहां किसानों की फसलों का उत्पादन करने के लिए मेरी बहुत एहम भूमिका होती है। बिना मेरे होने से किसान फसल नहीं ऊगा सकता है। मैं नदी जीवन के साथ खाने पानी का भी ध्यान रखती हूं।

खेतों में सिंचाई हो पाना मेरे बिना कठिन है। फसले न उगने के कारण से इस संसार को काफी ज्यादा समस्याएं झेलनी पड़ सकती है। सिर्फ यहां तक ही नहीं बल्कि मेरे होने से चारो तरफ हरियाली देखने को मिलती है।

इसके अलावा में कई और कामो में भी मनुष्य के उपयोग में आती हूँ। में विद्युत उत्पन्न करने में भी मदद करते हैं। लेकिन फिर भी मनुष्य मझे दुषित करता है। मुझ मे कचरा फेका जाता है, मुझ मे कारखानों का गन्दा केमिकल छोड़ा जाता है जिससे मझे भी परेशानी होती है. इसीलिए मेरा इंसानो से अनिरोध है की मेरा भी ध्यान रखे मझे दुषित न करे क्युकी मैं मानव जाती के लिए बहुत जरूरी हूँ।

नदी का प्रकोप

Nadi Ki Atmakatha : जब तक मैं शांत हूँ मैं बहुत अच्छी हूँ लेकिन मुझे बिगड़ने में ज्यादा समय नहीं लगता आखिर में भी तो एक नदी हूँ। कई सारी आपदाओं का कारण भी मैं ही बनी हूँ, कई सारी चीजों को मैंने ही बर्बाद किया है। लेकिन मैं इतनी जल्दी अपना प्रकोप नहीं दिखती लेकिन जब दिखती हूँ तो आसपास की चीज बर्बाद हो जाती है।

मैं समंदर में सुनामी ले आती हूँ मेरे बवंडर से अच्छे खासे इलाके बर्बाद हो जाते हैं, लोगों के घर उड़ जाते हैं, काफी पेड़ पौधे टूट के गिर जाते हैं, जब मैं अपना प्रकोप दिखाती हूँ। इसलिए मेरा शांत होना जैसे जरूरी है वैसे थोड़ा आगरा में भी होना जरूरी है।

नदी की विशेषताएं।

नदी हमारे रोजमर्या जीवन पर काफी ज्यादा प्रभाव डालती है। नदी न ही केवल प्रकृति के लिए जरूरी है बल्कि नदी की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जिसको जानना बहोत जरूरी है।

  • नदी एक प्राकृतिक रूप से बहने वाला जल है जो कभी नहीं ठहरता।
  • इस दुनिया में नदी का जल सबसे बड़ा और सामान्य सूत्र है।
  • नदी पहाड़ों से निकलने वाला जल है जो की काफी स्वच्छ होता है।
  • जंगल में नदी के पानी से जानवर अपनी प्यास बुझाते हैं।
  • गांव में कृषि कार्य के लिए नदी का पानी ही उपयोग में लाया जाता है।
  • नदियों का पानी घरो में पीने के लिए और घरेलू कामों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • गांव में रहने वाले लोग अभी भी नदी के जल पर निर्भर होते हैं और रोजाना के कार्य में नदी के जल का उपयोग करते हैं।

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निष्कर्ष – Essay on River in Hindi

अंत में मैं नदी सिर्फ अपने लोगों से यही कहना चाहूंगी कि एक तरफ तो मेरी इस संसार में पूजा की जाती है लेकिन दूसरी तरफ लोग मुझे दुषित करते है। मेरी सभी मानव जाति से यही विनती है कि मुझे साफ रखना भी आपकी जिम्मेदारी है। लेकिन मुझे इस बात की खुशी भी है कि लोग जागरूकता दिखा रहे हैं और मेरे प्रति अच्छा व्यवहार कर रहे हैं।

बच्चों आज का हमारा आर्टिकल नदी की आत्मकथा (Nadi Ki Atmakatha in Hindi) पर था जिसमें हमने आपको नदी की पूरी जीवन शैली से लेकर बाकी समस्याओं के बारे में बताया। यदि आप स्कूल में है और आपको नदी की आत्मकथा पर निबंध आता है तो आप इस निबंद की मदद ले सकते है।

Priyank Chauhan

मेरा नाम प्रियांक चौहान है। में एक डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट हूँ। और मुझे ब्लॉग लिखना पसंद है।

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